श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 11
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः।। 11।।
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शब्दार्थ (Word Meaning)
अन्ये च = और भी बहुत से
बहवः = अनेक
शूराः = वीर योद्धा
मत्-अर्थे = मेरे लिए, मेरी ओर से
त्यक्त-जीविताः = जिन्होंने अपने जीवन की आहुति दे दी है, मृत्यु को तुच्छ माना है
नाना-शस्त्र-प्रहरणाः = विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित
सर्वे = सभी
युद्ध-विशारदाः = युद्ध-विद्या में निपुण
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भावार्थ (Meaning in Simple Hindi)
दुर्योधन द्रोणाचार्य से कह रहा है –
"हे आचार्य! मेरे लिए लड़ने को अनेक ऐसे वीर योद्धा उपस्थित हैं, जिन्होंने अपने जीवन को भी तुच्छ मान लिया है। वे सभी विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित और युद्ध-विद्या में निपुण हैं।"
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विस्तृत व्याख्या (Detailed Explanation)
इस श्लोक में दुर्योधन अपनी सेना का बल दिखा रहा है और यह जताने की कोशिश कर रहा है कि उसकी ओर से लड़े जाने वाले योद्धा केवल संख्या में ही अधिक नहीं हैं, बल्कि
1. त्यागी और निष्ठावान हैं – दुर्योधन के लिए अपना जीवन तक देने को तैयार हैं।
2. सुसज्जित हैं – हर प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से लैस हैं।
3. कुशल योद्धा हैं – युद्ध की हर विधा में पारंगत हैं।
👉 यहाँ दुर्योधन अपने मनोबल को बढ़ाने और गुरु द्रोणाचार्य को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहा है कि उसकी सेना पांडवों से कमज़ोर नहीं है।
लेकिन भीतर ही भीतर दुर्योधन को संदेह है, इसलिए बार-बार अपनी सेना की मजबूती पर ज़ोर देता है।
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