भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 1 सञ्जय उवाच — तं तथा कृपयाऽविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्। विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः॥ गीता 2:1 भावार्थ संजय ने कहा — उस समय करुणा से व्याप्त, आँसुओं से भरी आँखों वाले और अत्यंत शोकाकुल अर्जुन को देखकर भगवान श्रीकृष्ण, जो मधुसूदन नाम से प्रसिद्ध हैं, ने ये वचन कहे। --------------------------------------------------- शब्दार्थ : सञ्जय उवाच — सञ्जय ने कहा, तं — उस (अर्जुन को), तथा — उस प्रकार, कृपया आविष्टम् — करुणा से व्याप्त, अश्रु-पूर्ण-आकुल-ईक्षणम् — आँसुओं से भरी, व्याकुल आँखों वाला, विषीदन्तम् — अत्यंत शोकाकुल, इदं वाक्यम् — ये वचन, उवाच — कहा, मधुसूदनः — भगवान श्रीकृष्ण (जिन्होंने मधु नामक असुर का वध किया)। --------------------------------------------------- व्याख्या : इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश का आरंभ होता है। अर्जुन युद्धभूमि में अपने स्वजनों क...
“श्रीमद्भगवद्गीता एक अमर ग्रंथ है, जिसमें जीवन जीने की कला, कर्तव्य, भक्ति, आत्मज्ञान और शांति का मार्ग बताया गया है। यह संवाद भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ, जो हर युग में प्रेरणा देता है।”
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