भगवद्गीता अध्याय 1 श्लोक 5
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः।। 1.5।।
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शब्दार्थ (शब्द-शब्द अर्थ)
धृष्टकेतुः = शिशुपाल का पुत्र, धृष्टकेतु
च = और
चेकितानः = चेकितान नामक वीर
काशिराजः = काशी देश का राजा
च = और
वीर्यवान् = पराक्रमी
पुरुजित् = पुरुजित नामक महारथी
कुन्तिभोजः = कुन्तिभोज (कुन्ती के कुल का राजा)
च = और
शैब्यः = शैब्य नामक पराक्रमी राजा
च = और
नरपुंगवः = श्रेष्ठ पुरुष, वीरों में श्रेष्ठ
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भावार्थ (सरल अनुवाद)
इस पाण्डव सेना में धृष्टकेतु, चेकितान, पराक्रमी काशीराज, पुरुजित, कुन्तिभोज और शैब्य जैसे वीर पुरुष भी उपस्थित हैं।
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विस्तृत व्याख्या
संजय आगे पाण्डवों की ओर से लड़ने वाले अन्य महत्त्वपूर्ण योद्धाओं का वर्णन करते हैं।
1. धृष्टकेतु – शिशुपाल का पुत्र। यद्यपि कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था, फिर भी धृष्टकेतु पाण्डवों का पक्षधर रहा।
2. चेकितान – यादव वंश का वीर, पाण्डवों का दृढ़ सहयोगी।
3. काशिराज – काशी का राजा, अत्यन्त पराक्रमी और युद्धकौशल में निपुण।
4. पुरुजित और कुन्तिभोज – ये दोनों कुन्ती के संबंधी थे। इसलिए पाण्डवों का पक्ष लेना उनका कर्तव्य था।
5. शैब्य – वृद्ध होते हुए भी बहुत पराक्रमी राजा। पाण्डवों के धर्मयुद्ध में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण था।
👉 इस प्रकार संजय यह स्पष्ट करते हैं कि पाण्डव सेना केवल संख्या में बड़ी नहीं, बल्कि निष्ठावान और पराक्रमी सहयोगियों से भी भरी हुई थी।
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