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🌿 Bhagavad Gita – Start Your Spiritual Journey

भगवद् गीता अध्याय 2, श्लोक 39 – कर्मयोग का रहस्य और विस्तृत हिन्दी व्याख्या

श्रीमद्भगवद्गीता 2:39 – सांख्य से कर्मयोग तक की सुन्दर यात्रा श्रीमद्भगवद्गीता का दूसरा अध्याय, जिसे सांख्ययोग कहा जाता है, पूरे ग्रन्थ की नींव के समान है। इसी अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण धीरे–धीरे अर्जुन के भीतर छाए हुए मोह, शोक और भ्रम को ज्ञान के प्रकाश से दूर करते हैं। गीता 2:39 वह महत्वपूर्ण श्लोक है जहाँ तक भगवान कृष्ण ने आत्मा–देह, जीवन–मृत्यु और कर्तव्य का सिद्धान्त (Theory) समझाया और अब वे कर्मयोग की व्यावहारिक शिक्षा (Practical) की ओर प्रवेश कराते हैं। इस श्लोक में भगवान स्पष्ट संकेत देते हैं कि – “अब तक मैंने जो कहा, वह सांख्य रूप में था; अब तुम इसे योग रूप में सुनो।” साधारण भाषा में कहें तो जैसे कोई गुरु पहले छात्र को विषय का पूरा सिद्धान्त समझाता है, फिर कहता है – “अब इसे Practically कैसे लागू करना है, ध्यान से सुनो।” यही रूपांतरण 2:39 में दिखाई देता है। संस्कृत श्लोक (गीता 2:39): एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु। बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि...

भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 8

      🌸 भगवद् गीता अध्याय 2 श्लोक 8 🌸
           (अर्जुन की असहाय स्थिति 😔)


🕉️ श्लोक 2.8

न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ।
अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम् ॥

                                   गीता 2:8

हिंदी अनुवाद:

हे कृष्ण! 😞 मैं नहीं देखता कि यह शोक, जो मेरे इन्द्रियों को सुखा रहा है,
मेरे हृदय से कैसे दूर होगा — चाहे मुझे इस पृथ्वी पर निष्कण्टक राज्य ही क्यों न मिल जाए,
या स्वर्ग में देवताओं के समान ही प्रभुता क्यों न प्राप्त हो जाए। 👑

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💭 भावार्थ :

अर्जुन अत्यधिक दुखी और निराश हैं 😢।
वह श्रीकृष्ण से कहते हैं कि उनका मन इतना शोक से भरा है कि उन्हें कोई उपाय नहीं दिख रहा जिससे यह दुख दूर हो सके।
यहाँ तक कि यदि उन्हें पृथ्वी पर अथवा स्वर्ग में सबसे बड़ा राज्य भी मिल जाए, तब भी यह पीड़ा समाप्त नहीं होगी। 💔

यह श्लोक अर्जुन की आत्मिक उलझन और मानसिक अशांति को दर्शाता है।
वह युद्ध नहीं करना चाहते, और उनका मन करुणा, मोह और दुःख से भरा हुआ है। 😔🙏

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🌼 हम क्या सीखते हैं:

जब मन शोक और मोह में डूबा हो, तब सबसे बड़ा सुख भी व्यर्थ लगता है।
सच्चा समाधान ज्ञान और आत्मबोध से ही मिलता है, न कि बाहरी उपलब्धियों से। 🌿🕉️
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